
“जब डर दिन की रोशनी में भी आपका पीछा करे
और रात में सुकून मिलने से इंकार कर दे,
तो यह जान लीजिए—
आप टूटे हुए नहीं हैं,
आप बस कुछ ऐसा ढो रहे हैं
जिसे छुपाने नहीं,
बल्कि ठीक करने की ज़रूरत है।”

“जब डर दिन की रोशनी में भी आपका पीछा करेऔर रात में सुकून मिलने से इंकार कर दे,तो यह जान लीजिए—आप टूटे हुए नहीं हैं,आप बस कुछ ऐसा ढो रहे हैंजिसे छुपाने नहीं,बल्कि ठीक करने की ज़रूरत है।”

“जब डर दिन की रोशनी में भी आपका पीछा करे
और रात में सुकून मिलने से इंकार कर दे,
तो यह जान लीजिए—
आप टूटे हुए नहीं हैं,
आप बस कुछ ऐसा ढो रहे हैं
जिसे छुपाने नहीं,
बल्कि ठीक करने की ज़रूरत है।”
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