
“कोई भी अपराजित नहीं होता, चाहे वह अपनी जवानी और शौर्य के शिखर पर ही क्यों न हो. बिना किसी स्पष्ट कारण के, किसी के साथ भी, कभी भी, कुछ भी हो सकता है.”
“कोई भी अपराजित नहीं होता, चाहे वह अपनी जवानी और शौर्य के शिखर पर ही क्यों न हो. बिना किसी स्पष्ट कारण के, किसी के साथ भी, कभी भी, कुछ भी हो सकता है.”

“कोई भी अपराजित नहीं होता, चाहे वह अपनी जवानी और शौर्य के शिखर पर ही क्यों न हो. बिना किसी स्पष्ट कारण के, किसी के साथ भी, कभी भी, कुछ भी हो सकता है.”
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