
“आपकी बदतमीजी और बदसलूकी को मां-बाप तो माफ कर देंगे, लेकिन ससुराल वाले नहीं करेंगे। इसलिए जो संस्कार जरूरी हैं, उन्हें समय रहते सीख लेना ही समझदारी है।”
“आपकी बदतमीजी और बदसलूकी को मां-बाप तो माफ कर देंगे, लेकिन ससुराल वाले नहीं करेंगे। इसलिए जो संस्कार जरूरी हैं, उन्हें समय रहते सीख लेना ही समझदारी है।”

“आपकी बदतमीजी और बदसलूकी को मां-बाप तो माफ कर देंगे, लेकिन ससुराल वाले नहीं करेंगे। इसलिए जो संस्कार जरूरी हैं, उन्हें समय रहते सीख लेना ही समझदारी है।”
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