
“इस जन्माष्टमी, अपना हृदय ऐसी बाँसुरी बना दें, जिससे श्रीकृष्ण प्रेम, आनंद और करुणा की मधुर धुन बजाएँ।”

“इस जन्माष्टमी, अपना हृदय ऐसी बाँसुरी बना दें, जिससे श्रीकृष्ण प्रेम, आनंद और करुणा की मधुर धुन बजाएँ।”

“इस जन्माष्टमी, अपना हृदय ऐसी बाँसुरी बना दें, जिससे श्रीकृष्ण प्रेम, आनंद और करुणा की मधुर धुन बजाएँ।”
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Leave a comment