
“सीमाएँ आपकी आत्मा के लिए बजट की तरह होती हैं।
शुरुआत में कहना बेहतर है ‘यहीं तक मेरी सीमा है’,
बजाय इसके कि अंत में पछतावे का बोझ उठाना पड़े।”

“सीमाएँ आपकी आत्मा के लिए बजट की तरह होती हैं।शुरुआत में कहना बेहतर है ‘यहीं तक मेरी सीमा है’,बजाय इसके कि अंत में पछतावे का बोझ उठाना पड़े।”

“सीमाएँ आपकी आत्मा के लिए बजट की तरह होती हैं।
शुरुआत में कहना बेहतर है ‘यहीं तक मेरी सीमा है’,
बजाय इसके कि अंत में पछतावे का बोझ उठाना पड़े।”
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