
“शादी ही एक ऐसी जगह है जहाँ आप लड़ सकते हैं, मान सकते हैं, फिर से लड़ सकते हैं… और फिर भी ऐसे पूछ लेते हैं, ‘खाना में क्या बनाऊँ?’ जैसे कुछ हुआ ही नहीं।”

“शादी ही एक ऐसी जगह है जहाँ आप लड़ सकते हैं, मान सकते हैं, फिर से लड़ सकते हैं… और फिर भी ऐसे पूछ लेते हैं, ‘खाना में क्या बनाऊँ?’ जैसे कुछ हुआ ही नहीं।”

“शादी ही एक ऐसी जगह है जहाँ आप लड़ सकते हैं, मान सकते हैं, फिर से लड़ सकते हैं… और फिर भी ऐसे पूछ लेते हैं, ‘खाना में क्या बनाऊँ?’ जैसे कुछ हुआ ही नहीं।”
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