
“सिर्फ परिवार, मोहल्ला या समाज का हिस्सा होना ही किसी को आपके बच्चों के लिए आदर्श व्यक्ति नहीं बनाता। जिससे मन न मिले, उससे दूरी बनाने में संकोच न करें।”
“सिर्फ परिवार, मोहल्ला या समाज का हिस्सा होना ही किसी को आपके बच्चों के लिए आदर्श व्यक्ति नहीं बनाता। जिससे मन न मिले, उससे दूरी बनाने में संकोच न करें।”

“सिर्फ परिवार, मोहल्ला या समाज का हिस्सा होना ही किसी को आपके बच्चों के लिए आदर्श व्यक्ति नहीं बनाता। जिससे मन न मिले, उससे दूरी बनाने में संकोच न करें।”
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