
“सबसे भारी दिन भी हल्के हो जाते हैं,
जब कोई आपके साथ चलने का फैसला करता है।
ताक़त ख़ामोशी में बढ़ती है, मगर साथ मिलने पर वही ताक़त हिम्मत बन जाती है।”

“सबसे भारी दिन भी हल्के हो जाते हैं,जब कोई आपके साथ चलने का फैसला करता है।ताक़त ख़ामोशी में बढ़ती है, मगर साथ मिलने पर वही ताक़त हिम्मत बन जाती है।”

“सबसे भारी दिन भी हल्के हो जाते हैं,
जब कोई आपके साथ चलने का फैसला करता है।
ताक़त ख़ामोशी में बढ़ती है, मगर साथ मिलने पर वही ताक़त हिम्मत बन जाती है।”
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