
“धन की माप इस बात से नहीं होती कि आप कितना संभाल कर रखते हैं,
बल्कि इस बात से होती है कि आप उसे कितनी समझदारी और उदारता से प्रवाहित करते हैं।
पैसा ऊर्जा की तरह बहता है — उद्देश्य के साथ बाँटोगे तो abundance बनकर लौटेगा।
डर के साथ रोक कर रखोगे तो कमी पैदा करेगा।
इसलिए डर नहीं, प्रवाह चुनो।”






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